पटना में मकर संक्रांति एक दर्दनाक हादसे का सबक बन गई है। लोग दियारे में अपनी खुशियो को दुगुना करने के इरादे से और पतंगबाजी कर एक दूसरे की डोर काटने गए थे। मगर उन्हें शायद ये अंदाज भी नही थी की पतंग की डोर के साथ बंधी थी उनकी जिंदगी की डोर। दरअसल ये घटना हर इंसान के लिए सबक है। ऐसी कई बड़ी घटना हो चुकी है मगर लोग सबक नही ले पाते।
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जेनरेटर से निकालता धुँआ |
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गंगा की गोद में समाते लोग |
15 साल पुरानी थी नाव
जजिस नाव पर 25 जिंदगियां डूबी थी वह नाव 15 साल से अधिक पुरानी थी।अब तक गंगा से 25 शव निकल चुके गोताखोर राजेंद्र सहनी का कहना है कि नाव 15 साल से पुरानी नाव थी और उसमें क्षमता से अधिक लोग सवार हो गए थे। पुलिस के अनुसार सबलपुर दियरा निवाशी
ये बाते "हिन्दुस्तान अख़बार" की पड़ताल में सामने आई है। नाव हादसे की वाइरल हुई विडियो में भी दिख रहा है।
यहाँ देखे विडियो
एक तरफ सरकार पुराने जेनरेटर पर रोक लगाई थी उसके बावजूद नहीं मान रहे ये।
विशेषज्ञ से बातचीत पर पता चल की क्षमता से अधिक लोग के सवार होने पर जेनरेटर उसका लोड नही उठा पाता है। इसी लिए नाविक ने जेनरेटर कि स्पीड बढ़ा दी और जेनरेटर का चैम्बर फटा और ये हादसा हुई।
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शव को ढूँढती NDRF की टीम |
टूटी नही थी नाव: कुछ लोग कह रहे थे की नाव दो हिस्से में टूट गई थी मगर जब नाव को निकाला गया तब नाव न ही टूटी हुई थी न ही कही छेद।
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